वाराणसी में जल्द बनकर तैयार हो जाएगी जापान के 'प्यार की माला'

विकास पाठक, वाराणसी
काशी नगरी में 186 करोड़ की लागत से रुद्राक्ष (कन्वेंशन सेंटर) आकार लेने लगा है। यह भारत और के बीच दोस्ती का प्रतीक होगा। खासतौर पर संगीत तीर्थ के लिए बन रहा अपने ढंग का अलग और जापानी तकनीकी व वास्तुकला का नायाब नमूना होगा। सेंटर का ऊपरी हिस्सा शिवलिंग के अरधे और उस पर भोलेनाथ प्रिय पंचमुखी रुद्राक्ष की तरह दिखेंगे। एलईडी लाइटों से इसकी चमक देखते ही बनेगी। रुद्राक्ष के निर्माण में ईंट से लेकर अन्य सामग्री अलग तरह की हैं। तमाम सामान दूसरे देशों से भी मंगाए जा रहे हैं। अगले साल मार्च तक यह बन जाएगा।

भवन लगभग बनकर तैयार
शहर के व्यस्ततम सिगरा इलाके में नगर निगम मुख्यालय के पास 2.87 हेक्टेअर एरिया में बन रहे कन्वेंशन सेंटर की नींव दिसंबर 2015 में उस समय पड़ गई थी, जब जापानी प्रधानमंत्री शिंजो अबे प्रधानमंत्री के साथ बनारस आए थे। नदेसर पैलेस में शाही भोज और बनारसी कलाकृतियों के तोहफों ने ऐसा मन मोहा कि शिंजो ने कन्वेंशन सेंटर बनवाने का प्रस्ताव रख दिया। पीएम मोदी ने इसे जापान के प्यार की माला’ बताया। डिजाइन आदि पर जापान की मुहर लगने, जुलाई 2018 में शिलान्यास के बाद काम शुरू होने से दो मंजिला भवन लगभग बनकर तैयार हो गया है।

1200 लोगों के बैठने की व्यवस्था
रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर के लिए जापान ने 186 करोड़ रुपये दिए हैं। जापानी कंपनी फुजिता द्वारा यह सेंटर ऐसे बनाया जा रहा है कि बनारस सीधे शंघाई, हॉन्ग-कॉन्ग, सिंगापुर जैसे शहरों की कतार में आकर खड़ा हो जाएगा। आधुनिकतम सुविधाओं वाले दो मंजिला इस कन्वेंशन सेंटर में 1200 लोगों के बैठने की व्यवस्था के साथ अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन, म्यूजिक कॉन्सर्ट व एग्जिबिशन की सुविधा होगी। मुख्य सभागार ऐसे बना है कि उसे कई हिस्सों में बांटा भी जा सकेगा। इसके आसपास बनारस की कला-संगीत-संस्कृति को प्रदर्शित करने को गैलरी बनेंगी। पार्किंग की भी बेहतर व्यवस्था होगी।

उत्पादों के वेस्ट से बन रहीं दीवारें
रुद्राक्ष के प्रॉजेक्ट मैनेजर बृजेश कुमार ने बताया कि कन्वेंशन सेंटर की दीवारें सॉफ्ट मड मोल्ड ईंटों से बन रही हैं। इन ईंटों में बनारस की मिट्टी के एग्रीकल्चर उत्पादों के वेस्ट का इस्तेमाल किया गया है, जिससे बाहर के ताप को सहन कर अंदर राहत देने की क्षमता है। मुख्य सभागार में लगने वाली लकड़ी की कुर्सियां वियतनाम से मंगवाई जा रही है। ये आरामदेह, मेनटेनेंस फ्री होंगी। मल्टीपरपज हॉल में लगने वाली स्क्रीन भी विदेश से आएगी।

‘निशिकी’ ट्रेनिंग सेंटर भी
जापान की 500 साल पुरानी पारंपरिक सिल्क कला निशिकी का डिजाइन और तकनीकी सेंटर भी बनारस में खोलने की तैयारी है। जापान सरकार के सहयोग से चलने वाले इस सेंटर के जरिए बनारसी बुनकरों द्वारा तैयार माल जापान के बाजर में पहुंचेगा। इससे यहां के बुनकरों और निर्यातकों, दोनों को रोजगार का नया प्लैटफॉर्म मिलेगा।

Source: Uttarpradesh

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