सीमावर्ती शहर पर अब कुर्द लड़ाकों का कब्जा

इदलिब
उत्तरपूर्वी सीरिया में तुर्की की सैन्य कार्रवाई के बीच कुर्द बलों ने सीमावर्ती शहर पर अपना प्रभुत्व कायम कर लिया है। अमेरिका के अपने ‘नाटो’ सहयोगी (तुर्की) पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद भी अंकारा ने पीछे हटने के कोई संकेत नहीं दिए हैं। वहीं सुरंगों, मुंडेरों और खाइयों के घने नेटवर्क का उपयोग करते हुए, ‘सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेस’ (एसडीएफ) के रास-अल-ऐन की रक्षा कर रहे हैं।

ब्रिटेन स्थित ‘सीरियन आब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स’ ने कहा कि उन्होंने रास-अल-ऐन के पास तुर्क बलों और उनके सीरियाई समर्थकों के खिलाफ एक व्यापक अभियान चलाया। बता दें कि तुर्की नौ अक्टूबर से कुर्द लड़ाकों की अगुवाई वाले सीरियाई लोकतांत्रिक बलों (एसडीएफ) को निशाना बना रहा है लेकिन रास-अल-ऐन पर कुर्दों का वर्चस्व कायम है।

फिलहाल शहर के आसपास संघर्ष मंगलवार को जारी है, जबकि तुर्की ने हाल ही में यह दावा किया था कि उसने इलाके पर कब्जा कर लिया है। सीरिया से अपने सैनिकों को वापस बुलाने के अमेरिका के फैसले के बाद तुर्की ने बुधवार को सीमा पर कुर्द लड़ाकों पर हमला किया था। सांसत से घिरे तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन सीरिया से लगती अपनी सीमा पर 30 किलोमीटर गहरा ‘बफर जोन’ बनाना चाहते हैं। वह एसडीएफ को दूर रखना चाहते हैं और तुर्की की धरती पर मौजूद 36 लाख अरब सीरियाई शरणार्थियों के एक हिस्से के लिए एक पुनर्वास क्षेत्र बनाना चाहते हैं।

सैन्य कार्रवाई में अभी तक कई लोग मारे गए हैं। जान गंवाने वाले अधिकतर कुर्द हैं। कम से कम 1,60,000 लोग विस्थापित हुए हैं। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनाल्ड ट्रंप ने उत्तरपूर्वी सीरिया में तुर्की की सैन्य कार्रवाई के विरोध में तुर्क अधिकारियों के खिलाफ नए प्रतिबंधों की घोषणा करते हुए कहा कि अगर तुर्की तबाही की राह पर बढ़ता चला गया तो हम उसकी अर्थव्यवस्था को तेजी से बर्बाद करने को तैयार हैं।

ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करने के साथ ही प्रशासन को तुर्की पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार दिया। वित्त मंत्रालय तुर्की के रक्षा मंत्री खुलूसी आकार, आंतरिक मंत्री सुलेमान सोयलू और ऊर्जा मंत्री फातिह डोनमेज को अपनी प्रतिबंध सूची में पहले ही डाल चुका है। वहीं ट्रंप ने अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी को भेजे एक पत्र में तुर्की मामले को एक राष्ट्रीय आपदा बताया है।

अमेरिका के रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने भी कहा था कि वह अगले सप्ताह ब्रसेल्स में ‘नाटो’ जाएंगे और तुर्की की कार्रवाई के जवाब में गठबंधन के सदस्यों को सामूहिक तथा व्यक्तिगत कूटनीतिक और आर्थिक उपाय अपनाने के लिए कहेंगे। उन्होंने कहा, ‘अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लगातार विरोध और आगाह किए जाने के बावजूद, तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने उत्तरी सीरिया में एकतरफा कार्रवाई के आदेश दिए जिससे जानमाल का व्यापक नुकसान, विनाश, असुरक्षा और अमेरिकी सैन्य बलों के लिए खतरा बढ़ा है।’

वहीं फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने सोमवार को अपने अमेरिकी समकक्ष डोनाल्ड ट्रंप से कहा है कि इस्लामिक स्टेट (आईएस) को फिर से अस्तित्व में आने से रोकने की सख्त जरूरत है। राष्ट्रपति भवन ने कहा कि मैक्रों ने सोमवार शाम ट्रंप को फोन कर चेताया कि क्षेत्र में सैनिकों को वापस बुलाने और उसके बाद कुर्दों के खिलाफ तुर्की के हमले ने आईएस के फिर से सिर उठाने के खतरे को बढ़ा दिया है। मैक्रों ने एर्दोआन और अपने इराकी समकक्ष बरहाम सालिह से भी बातचीत की। फ्रांस और अन्य देश इस बात से चिंतित हैं कि कुर्द अधिकारियों के कब्जे से आईएस सदस्य भाग सकते हैं और क्षेत्र में बने हालात का फायदा उठा सकते हैं।

Source: International

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