मोदी राज में महंगाई, बेरोजगारी असमानता चरम पर, अमीरों के कर्ज डाले जा रहे हैं बट्टे खाते में

  • आरबीआई गवर्नर दास ने खोली मोदी सरकार के गलत आर्थिक नीतियों की पोल

रायपुर/03 नवंबर 2022। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि गवर्नर शशिकांत दास कि महंगाई रोक पाने में नाकामी और लक्ष्य से चूकने की स्वीकारोक्ति मोदी सरकार के आर्थिक विफलता और वित्तीय कुप्रबंधन का प्रमाण है। मोदी सरकार गलत फैसलों का ही प्रमाण है कि विगत आठ वर्षों से अब तक अर्थव्यवस्था के लिए तय कोई भी लक्ष्य प्राप्त नहीं किया जा सका है। इसी वित्तीय वर्ष में खुदरा महंगाई पर काबू पाने 4 बार रेपो दर में बढ़ोतरी की गई, विगत छः महीनों में कुल 1.9 प्रतिशत रेपो रेट बढ़ाया गया। खुदरा महंगाई दर का लक्ष्य रखा गया था 4 फ़ीसदी लेकिन अब भी आरबीआई के तय सीमा से अत्यधिक, छह फ़ीसदी से ऊपर है। रिजर्व बैंक का 1 लाख 76 हजार करोड़ का रिजर्व फंड भी जबरिया छीन कर फूंक डाले गए। देश पर कुल कर्ज का भार 3 गुना बढ़ गया। मोदी सरकार के चंद पूजीपति मित्रों के 11 लाख करोड़ से अधिक के लोन राइट ऑफ कर दिए गए। बड़े कारपोरेट घरानों को हर साल लगभग डेढ़ लाख करोड़ का टैक्स राहत दिया जा रहा है, लेकिन गरीब और आमजन के लिए कुछ भी नहीं। बेरोजगारी ऐतिहासिक रूप से शिखर पर है। अमीर और गरीब के बीच की खाई दिनों दिन चौड़ी हो रही है। मोदी राज में खाद्य पदार्थ और आम उपभोग की वस्तुओं पर जीएसटी का दायरा और जीएसटी की दर बढ़ाकर आम जनता से खींच कर चंद पूंजीपतियों को सिंचा जा रहा है। एक तरफ बुजुर्गों और महिलाओं के आय का प्रमुख साधन जमा पर ब्याज में कटौती की जा रही है, एफडीआर और बचत खाते में ब्याज दर आधा रह गया है, वहीं दूसरी ओर रेपो रेट बढ़ाकर लोन की ईएमआई और ब्याज महंगे किए जा रहे हैं। महंगाई चरम पर है, लेकिन मोदी सरकार की नीतियां चंद पूंजीपतियों के मुनाफे पर केंद्रित है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि हाल ही में बाजार नियामक सेबी संस्थानों से 67228 करोड़ रुपए बकाया नहीं वसूलने का निर्णय लिया है। मोदी राज में छोटे बकायादारों से होमलोन, वाहन ऋण और पर्सनल लोन पर सख्ती बरती जाती है। एक रुपए की भी राहत आम आदमी के लिए नहीं है, लेकिन बड़े बड़े कारपोरेट घरानों के हजारों करोड़ का लोन हर साल बट्टे खाते में डाले जा रहे हैं। मोदी राज में बैंक फ्रॉड के मामले चार गुना अधिक बढ़े हैं। आमजनता के खुन पशीने की गाढ़ी कमाई जो कर के रुप में चुकाती है उसे चंद अमीरों के बट्टे खाते में लगातार डाले जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में जब तक भाजपा की सरकार थी तब ये यहां भी चिटफंड कंपनियों का संरक्षण और संवर्धन किया करते थे। पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री रमन सिंह उनके परिजन और रमन सरकार के कई मंत्री आम जनता के पैसों को लूटने में चिटफंड कंपनियों के सहभागी बने। अब यही काम राष्ट्रीय स्तर पर मोदी राज में हो रहा है। देश की अर्थव्यवस्था घर पर जा रही है और मोदी सरकार के मित्र मालामाल हो रहे हैं।

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