कृषि कानूनों पर रोक कृषि व कृषकों को बचाने वाला निर्णय: PCC प्रवक्ता आलोक दुबे

जगदलपुर। छ.ग. प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता आलोक दुबे ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीनों कृषि कानून पर रोक लगाने के अंतरिम निर्णय का स्वागत करते हुये कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा अलोकतांत्रिक तरीके से तीन कृषि कानून लागू किये गये थे उसके क्रियान्वयन पर रोक लगाने के आदेश से यह साबित होता है कि भारत में कृषि व कृषकों की चिंता भले केंद्र सरकार ना करें लेकिन न्याय व्यवस्था को उनकी चिंता अवश्य है।

प्रदेश प्रवक्ता आलोक दुबे ने कहा है कि केन्द्र सरकार द्वारा कोरोना संक्रमण काल के दौरान,अलोकतांत्रिक प्रक्रिया से देश के सर्वोच्च सदन संसद में बिना चर्चा कराए तीन कृषि कानून पास किये गये थे। देश के कृषक समुदाय ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था उसके बाद भी पूंजीपतियों की पक्षधर भाजपा, किसानों की चिंता किए बिना उनके आंदोलन को अर्बन नक्सली आंदोलन, खालिस्तानी,विदेशी फंड से होने वाले आंदोलन की संज्ञा देकर किसान व कृषि का लगातार अपमान कर रही थी।

प्रवक्ता आलोक दुबे ने कहा है कि अनवरत 48 दिन से अधिक सर्द मौसम व जान की परवाह किये बुजुर्ग,महिला,बच्चे और किसानों के डटे होने की दशा में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर चिंता जाहिर करते हुए केंद्र सरकार के इस कानून पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए इस पर जल्द निर्णय लेने का निर्देश दिया था।परन्तु केंद्र सरकार अपनी हठधर्मिता व निष्क्रियता के चलते समाधान निकालने में असफल रही।अतः माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने आगामी आदेश तक के लिए इस कानून पर रोक लगाने के निर्णय दिया जो कृषकों के सम्मान की जीत है और उनके सम्मान की रक्षा न्यायालय ने की है। इसके साथ ही माननीय उच्च न्यायालय ने तीनों कृषि कानून में किसानों के हित और अहित की समीक्षा का जो निर्देश दिया है इससे भी यह साबित होता है कि केंद्र सरकार ने उक्त तीनों काले कानून पारित कर, देश में अफरातफरी का माहौल पैदा कर दिया था जिस पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से रोक लग सकी है ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *