पाक के FATF की ग्रे लिस्ट में रहने का मतलब

इस्लामाबाद
फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स (FATF) के पैरिस में चल रहे मौजूदा सत्र में पाकिस्तान को एकबार फिर राहत नहीं मिली है। सूत्रों के मुतािबक, दुनियाभर में टेरर फंडिंग से संबंधित मामले पर नजर रखने वाले इस संगठन ने पाक को ‘ग्रे लिस्ट’ में बरकरार रखा है। हालांकि, पाक के लिए राहत की बात यह है कि उसे काली सूची में नहीं डाला गया, जिसका खतरा उसपर मंडरा रहा था। आइए जानते हैं क्या है एफएटीएफ और ग्रे लिस्ट से पाक की कितनी बढ़ेंगी मुश्किलें…

  1. क्या है FATF और कैसे करता है यह काम? वैश्विक वित्तीय व्यवस्था को साफ-सुथरा बनाए रखने के लिए 1989 में FATF का गठन किया गया था। इसके 39 सदस्य हैं। इसमें 37 देश और दो क्षेत्रीय संगठन शामिल हैं। यह विभिन्न क्षेत्रीय और वैश्विक संगठनों के साथ मिलकर काम करता है ताकि टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग की घटनाओं पर नकेल कसी जा सके।
  2. FATF की ग्रे लिस्ट में रखे जाने से पाक की अर्थव्यवस्था को क्या होगा नुकसान? पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था दिवालियेपन की कगार पर है और ग्रे लिस्ट में रखे जाने पर उसकी इकॉनमी को और नुकसान होगा। इसकी वजह इंटरनैशनल मॉनिटरिंग फंड (आईएमएफ), विश्व बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलना मुश्किल होगा। इससे जाहिर है उसकी अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ेगा। बता दें कि जून 2018 में ही FATF ने पाक को सबसे पहली बार ग्रे लिस्ट में डाला था और 27 प्‍वॉइंट का ऐक्शन प्लान देते हुए अमल के लिए एक साल का वक्त दिया था। इसके तहत उसे टेरर फंडिंग और मनी लाउंड्रिंग पर ऐक्शन लेना था। अक्टूबर 2019 में हुई बैठक में FATF पाक को फटकारते हुए कहा था कि उसने 27 में से सिर्फ 5 पॉइंट पर ही काम किया है।
  3. क्या इस बार फिर ऑल वेदर फ्रेंड कहे जाने वाले चीन ने बचाई पाक की साख?चीन के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को बयान जारी कर कहा कि पाकिस्तान की सरकार ने आतंकवादी संगठनों को पहुंचाई जाने वाली आर्थिक मदद पर रोक लगाने में भारी प्रयास किए हैं, जिसे पैरिस में हुए बैठक में FATF के अधिकांश सदस्यों द्वारा मान्यता दी गई है। चीन और अन्य देश इस क्षेत्र में पाकिस्तान को सहायता देना जारी रखेंगे। बताया जा रहा है कि चीन की मदद के कारण पाकिस्तान ने खुद को काली सूची में भेजे जाने से बचा लिया है। हालांकि, पाकिस्तान को आतंक के वित्त पोषण पर एफएटीएफ से कड़ी चेतावनी मिली है और इस पर पूर्ण लगाम लगाने को कहा गया है। दरअसल, पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटाने के लिए 39 में से 12 वोट की जरूरत थी, जितनी वोट उसे नहीं मिल पाई।

Source: International

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