नगर निगम की बोर्ड बैठक को विधान मंडल ने घोषित किया शून्य

नगर संवाददाता, गाजियाबाद

नगर निगम बोर्ड की 17 फरवरी को हुई बैठक को विधान मंडल ने शून्य घोषित करने के आदेश दिए हैं। विधानसभा और विधान परिषद सत्र के दौरान बैठक नहीं बुलाने के शासनादेश के बावजूद मीटिंग करने के संबंध में नगर आयुक्त दिनेश चंद्र सिंह से भी जवाब मांगा गया है। इस मामले में कौन दोषी है इसकी जांच विधान परिषद की विशेषाधिकार समिति करेगी। वहीं बैठक के शून्य घोषित होने से पारित हुए करीब डेढ़ हजार करोड़ रुपये के प्रस्ताव भी समाप्त हो जाएंगे। गाजियाबाद नगर निगम के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है। इस आदेश के बाद अब नगर निगम को दोबारा बैठक बुलाकर इन प्रस्तावों को फिर से पास कराना होगा।

Bक्या है मामलाB

17 फरवरी को नगर निगम की होने वाली बोर्ड बैठक से पहले ही इसको लेकर विवाद पैदा हो गया था। बीजेपी पार्षद दल नेता राजेन्द्र त्यागी व बीजेपी दल के सचेतक हिमांशु मित्तल ने मेयर आशा शर्मा से कहा था कि जब लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा या विधान परिषद की बैठक चल रही हो तो बोर्ड बैठक नहीं हो सकती है। उन्होंने 18 अगस्त 2018 को जारी हुए शासनादेश का हवाला भी दिया था, लेकिन इसके बाद भी नगर निगम ने बोर्ड बैठक बुलाई। इसके विरोध में त्यागी और मित्तल के साथ कांग्रेस पार्षद दल नेता जाकिर अली सैफी ने बैठक का बहिष्कार किया था। वहीं एसपी एमएलसी राकेश यादव, जितेंद्र यादव, बलवंत सिंह रामूवालिया और बीएसपी के एमएलसी प्रदीप जाटव ने मंगलवार को इस मामले को विधान मंडल में उठाया और गाजियाबाद नगर निगम की बोर्ड बैठक को शून्य घोषित करने की मांग की। उनका कहना था कि वे सभी नगर निगम बोर्ड के सदस्य हैं और विधानसभा की बैठक होने के बाद भी नगर निगम ने बोर्ड बैठक बुलाई। इस वजह से वे लोग इसमें शामिल नहीं हो पाए। इससे उनके अधिकारों का हनन हुआ है।

Bनगर आयुक्त से जवाब तलबB

मामला सामने आने के बाद विधान परिषद के सभापति की ओर से नगर आयुक्त दिनेश चंद्र सिंह से जवाब तलब किया गया है। उनसे पूछा गया है कि शासनादेश के खिलाफ जाकर कैसे बोर्ड की बैठक बुलाई गई? नगर आयुक्त ने इस पर जवाब भेजा, लेकिन परिषद संतुष्ट नहीं हुआ।

Bदूसरे दिन भी हुई बहसB

बुधवार को भी इस विषय पर विधान मंडल में जमकर बहस हुई। सदन में नगर आयुक्त के जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर विधान मंडल ने बैठक को शून्य घोषित कर दिया। इस मामले में कौन दोषी है और उनको क्या सजा दी जाए इसके लिए पूरा मामला विधान परिषद की विशेषाधिकार समिति को भेज दिया है। वह इस मामले की अगली कार्रवाई करेगी।

Bक्या कहते हैं नेताB

मैं भी नगर निगम बोर्ड का सदस्य हूं। शासनादेश है कि विधानसभा और विधान परिषद सत्र के दौरान निगम बोर्ड की बैठक नहीं बुलाई जा सकती है। इसके बाद भी बैठक कैसे हुई। इसे विधान परिषद समिति ने अवैध मानते हुए शून्य घोषित कर दिया है।

B-राकेश यादव विधान परिषद सदस्य

Bशासनादेश के खिलाफ जाकर नगर निगम की बोर्ड बैठक बुलाने से हमने मेयर को रोका था, पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। विरोध में हमने बैठक का बहिष्कार भी किया था। इस मामले में सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

B-राजेन्द्र त्यागी, बीजेपी पार्षद दल नेता

Bनगर निगम बोर्ड की बैठक पूरी तरह असंवैधानिक थी, इसलिए मैंने बैठक का बहिष्कार किया था। इसके बाद हमने मुख्य सचिव, नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव और नगर आयुक्त से भी मामले की शिकायत की थी। इस पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

B-हिमांशु मित्तल, सदन में मुख्य सचेतक दल नेता

Bविधानसभा और विधान परिषद सत्र के दौरान बोर्ड की बैठक नहीं हो सकती इस संबंध में मेरे पास कोई जीओ नहीं है। बैठक अपरिहार्य स्थिति में बुलाई जा सकती है। कुछ लोग शहर में विकास को अवरूद्ध करना चाहते हैं, जिसे मैं होने नहीं दूंगी। बैठक शून्य घोषित हो गई है तो क्या हुआ। फिर से बोर्ड बैठक बुलाकर इस अजेंडे में शामिल प्रस्तावों को पास किया जाएगा।

B-आशा शर्मा, मेयर

Bक्या कहते हैं नगर आयुक्त

बोर्ड बैठक बुलाने और स्थगित करने का अधिकार नगर आयुक्त का नहीं मेयर का है। 17 की बैठक भी मेयर ने ही बुलाई थी। इस मामले में अपना पक्ष शासन के माध्यम से विधान परिषद को भेज दिया है।

-दिनेश चंद्र सिंह, नगर आयुक्त

Source: Uttarpradesh

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