रोक के बावजूद सामांतर अदालत लगाकर करते हैं सुनवाई, भोपाल मस्जिद कमेटी के सचिव व काजी तलब

जबलपुर, 18 फरवरी (भाषा) मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने आदेश दिये हैं कि भोपाल मस्जिद कमेटी के सचिव एवं भोपाल शहर के काजी अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश हों और बताएं कि अदालत की रोक के बावजूद भी वे तलाक सहित मुस्लिम वैवाहिक विवादों की सुनवाई जारी क्यों रखे हुए हैं। याचिकाकर्ता के वकील मोहम्मद आदिल उस्मानी ने मंगलवार को ‘भाषा’ को बताया कि उच्च न्यायालय ने भोपाल मस्जिद कमेटी के सचिव एस एम सलमान और दारुल कज़ा मस्जिद कमेटी काजी मुश्ताक अली नदवी को अवमानना मामले में 19 फरवरी (बुधवार) को व्यक्तिगत रूप से अदालत में तबल करने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति संजय यादव और न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन की खंडपीठ ने सोमवार को इन दोनों को तलब कर यह स्पष्ट करने को कहा कि अदालत के आदेशों के बावजूद वे मुस्लिम समुदाय के तलाक और गुजारा भत्ता सहित वैवाहिक विवादों की सुनवाई क्यों जारी रखे हुए हैं। उस्मानी ने कहा कि अदालत ने यह निर्देश भोपाल स्थित सामाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद वसीम खान द्वारा इन दोनों के खिलाफ दायर अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान जारी किया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2009 में मोहम्मद जहीर खान कोटी की जनहित याचिका पर उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने मस्जिद कमेटी भोपाल एवं दारुल कज़ा मस्जिद कमेटी भोपाल को मुस्लिम समुदाय के वैवाहिक विवादों की सुनवाई से प्रतिबंधित करने के निर्देश जारी किए थे। उन्होंने कहा कि लेकिन यह कमेटी वैवाहिक विवादों की सुनवाई जारी रखे हुए है जिसके कारण सामाजिक कार्यकर्ता खान ने इन दोनों के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की थी।

Source: Madhyapradesh

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