कोरोनाः चीन कैसे अब माओ जैसा शिकंजा

शंघाई
चीन में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या 1600 से ज्यादा हो चुकी है। इसके अलावा इस घातक वायरस ने करीब 70 हजार लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है। वायरस के कहर की वजह से चीन की अर्थव्यवस्था भी हांफने लगी है क्योंकि खौफ इतना है कि फैक्ट्रियां, कारोबार और अन्य आर्थिक गतिविधियां एक तरह से ठप पड़ चुकी हैं। वायरस से निपटने के लिए चीन ने लोगों पर अमानवीयता की हद तक सख्त पहरा लगा दिया है जो माओत्से तुंग के जमाने में लोगों पर कसे गए शिकंजे की याद दिलाता है।

माओ के जमाने जैसा सोशल कंट्रोल
न्यू यॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने गांवों और शहरों में लोगों पर नजर रखने के लिए लाखों वॉलंटियरों और कम्यूनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं की फौज उतार दी है। लोगों को बेहद नजदीकी रिश्तेदारों के अलावा किसी से भी मिलने की इजाजत नहीं है। माओ ने भी 50-60 के दशक में चीन की अर्थव्यवस्था को उछाल देने के नाम पर ‘ग्रेट लीप फॉरवर्ड’ पॉलिसी को लागू करते वक्त अपने ही लोगों पर अत्याचार किए थे। माओ ने अपनी नीति के तहत लोगों के सामाजिक जीवन के साथ-साथ सूचनाओं पर नियंत्रण कर रखा था।

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वॉलंटियर रख रहे लोगों के हर दिन का रेकॉर्ड
चीन वैसे भी हाई टेक उपकरणों के जरिए अपने नागरिकों की निगरानी के लिए कुख्यात रहा है। ऐसे वक्त में जब वायरस अपना कहर ढा रहा है, चीन लाखों वॉलंटियरों के जरिए लोगों की निगरानी कर रहा है। वॉलंटियर लोगों के शरीर के तापमान से लेकर उनके आने-जाने का ब्यौरा दर्ज कर रहे हैं। वे आइसोलेशन के लिए बनाई जगहों पर भी सारी व्यवस्था देख रहे हैं। ये वॉलंटियर बाहरी लोगों को भी संबंधित जगहों से दूर रख रहे हैं ताकि वायरस न फैले।

शहर के बाहर से आ रहे शख्स को अपने ही अपार्टमेंट में नो एंट्री
कुछ शहरों के हाउजिंग कॉम्पलेक्सों ने अपने यहां रह रहे लोगों को एक तरह का पास जारी किया है, जिससे उनके घर आने या घर से जाने को नियंत्रित किया जा सके। अगर कोई शख्स शहर से बाहर से आ रहा है तो उसे उसके ही अपार्टमेंट बिल्डिंग में नहीं घुसने दिया जा रहा। ट्रेनों में भी लोगों को तभी सवार होने दिया जा रहा है जब वे साबित कर रहे हैं कि वे संबंधित शहर में रहते या काम करते हैं। ग्रामीण इलाकों में गांवों को गाड़ियों, टेंट या दूसरी चीजों से बने बैरियर से इस तरह घेरा गया है कि वॉलंटियरों की इजाजत के बिना न कोई वहां जा पाए और न वहां से बाहर निकल पाए।

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चीन की आधे से ज्यादा आबादी जेल जैसे जिंदगी को मजबूर
रिपोर्ट के मुताबिक चीन में कम से कम 76 करोड़ लोगों पर सरकार ने सख्त पहरा लगा रखा है। यह संख्या चीन की आधी आबादी से भी ज्यादा है। इनमें से तमाम लोग वायरस से सबसे बुरी तरह प्रभावित वुहान शहर से बहुत ही ज्यादा दूर के हैं। लोगों पर ऐसे पहरे हैं जैसे वे जेल में रह रहे हों। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अगर किसी को कोई बीमारी हो गई तो उसे अस्पताल तक ले जाना भी मुश्किल हो रहा है। हालांकि, नागरिकों का एक बड़ा तबका खुद पर लगाई गईं पाबंदियों का समर्थन कर रहा है ताकि कोरोना के कहर को रोका जा सके। ट्रेनों में बुकिंग के लिए लोगों को अपने लोकेशन को भेजना अनिवार्य किया गया है। अगर वे रिस्क वाले एरिया में हैं तो उनका टिकट बुक नहीं किया जा रहा।

जब प्रफेसर को अपने बीमार पति को अस्पताल ले जाने से रोक दिया
जेजियांग यूनिवर्सिटी में समाज शास्त्र की एक 40 वर्षीय असोसिएट प्रफेसर का अनुभव डराना है। हाल ही में उन्हें अपने पति को अस्पताल ले जाने से एक तरह से रोक ही लिया गया था। डिनर के वक्त उनके पति के गले में मछली का कांटा फंस गया था और उनकी हालत गंभीर होती जा रही थी। ली जिंग को वॉलंटियरों ने अपने पति को अस्पताल ले जाने से रोक दिया क्योंकि एक दिन में वे हर परिवार से सिर्फ एक व्यक्ति को ही बाहर जाने की इजाजत देते हैं। हालांकि, वह खुशकिस्मत रहीं कि काफी जद्दोजहद के बाद ही सही, आखिरकार उन्हें पति को अस्पताल ले जाने की इजाजत मिल गई।

Source: International

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