भारत की लाख कोशिशों के बावजूद खुद को (FATF) की ग्रे सूची में बनाए रखने में सफल हो सकता है। हालांकि उसने की ओर से दिए गए 27 कार्यों में अभी भी 13 को पूरा नहीं कर पाया है। जबकि ये 13 कार्रवाइयां ज्यादातर आतंकी फंडिंग से संबंधित हैं। पाकिस्तान को मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित अधिकांश बिंदुओं के अनुरूप माना गया है।
सूत्रों का कहना है कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि पाकिस्तान खुद को FATF के ग्रे सूची में बनाए रखने में सफल हो जाएगा। 16 से 21 फरवरी के बीच पेरिस में होने वाली FATF की बैठक में विचार किया जाएगा कि पाकिस्तान ने आतंकियों को फंडिंग रोकने के लिए क्या-क्या कदम उठाए हैं। पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे सूची में डाला था।
अमेरिका कर सकता है पाकिस्तान की मदद
सूत्रों का यह भी कहना है कि FATF की पेरिस बैठक में अमेरिका पाकिस्तान के प्रति नरम रुख दिखा सकता है। इससे पाकिस्तान को FATF की ग्रे सूची में बने रहने में मदद मिल सकती है।
पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बनाए रखने, बाहर निकालने या फिर उसको ब्लैकलिस्ट करने को लेकर फ्रांस की राजधानी में एफएटीएफ की एक अहम बैठक होने वाली है। इस बैठक में पाकिस्तान ने बीते तीन माह के दौरान आतंकवाद के लिए हो रही फंडिंग रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं, उसको देखते हुए फैसला होगा।
इस बैठक में जहां भारत का जोर पाकिस्तान की सच्चाई को उजागर करते हुए उसे ब्लैकलिस्ट कराने पर होगा, वहीं पाकिस्तान का जोर ग्रे लिस्ट से निकलने के साथ ही खुद को ब्लैकलिस्ट से बचाने के लिए भी होगा। इस दौरान पाकिस्तान द्वारा आतंकवादी संगठनों को धन मुहैया कराने की समीक्षा होने की प्रबल संभावना है।
हाफिज पर कार्रवाई से FATF में खुद को बचाएगा पाक?
पाकिस्तान एफएटीएफ जांच में अनुकूल परिणाम सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों को साधने में जुटा हुआ है। चीन, तुर्की और मलेशिया द्वारा भी इस मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन किए जाने की संभावना है। दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के लिए अमेरिकी सहायक सचिव एलिस वेल्स ने गुरुवार को कहा था कि को अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाना पाकिस्तान द्वारा उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है।
दरअसल, यह कदम इस्लामाबाद में खान सरकार की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए उठाया गया है। माना जा रहा है कि पाकिस्तान ने एफएटीएफ की ग्रे सूची से बाहर होने के लिए पाकिस्तान की छवि को बेहतर दिखाने का प्रयास तेज किए हैं। अमेरिका ने हालांकि 2018 में पाकिस्तान को ग्रे सूची में रखने के लिए एफएटीएफ के कदम का समर्थन किया था।
द न्यूज इंटरनेशनल ने सूत्रों के हवाले से बताया कि ट्रंप प्रशासन ने अब पाकिस्तान के लिए अपना द्दष्टिकोण बदल दिया है, क्योंकि उसे अफगानिस्तान में तालिबान के साथ शांति-समझौते के लिए की सरकार पर निर्भर रहना पड़ रहा है।
मालूम हो कि भारत कोशिश कर रहा है कि पाकिस्तान FATF की लिस्ट में ब्लैकलिस्ट कर दिया जाए। इस वक्त एफएटीएफ ने ईरान और उत्तर कोरिया को ब्लैकलिस्ट कर रखा है। इस वजह से ये दोनों देश आर्थिक संकट को झेल रहे हैं।
Source: International