'नरसंहार' पर ICJ में घिरीं आंग सान सू ची

हेग
मुसलमानों पर दमन के खिलाफ म्यांमार का पक्ष रखने के लिए संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष न्यायालय पहुंची नोबेल शांति विजेता को रोकने की अपील का सामना करना पड़ा। रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ चलाए गए अभियान पर चुप्पी से उनकी अंतरराष्ट्रीय साख को धक्का लगा। सू ची हेग स्थित न्यायालय में सुनवाई के लिए पहुंची हैं। मानवाधिकार समूहों ने अंतरराष्ट्रीय अदालत में म्यामार की नुमाइंदगी करने के उनके फैसले की आलोचना की है।

पश्चिम अफ्रीकी देश गाम्बिया ने यह मामला उठाया है। रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ 2017 में सैन्य अभियान को लेकर म्यांमार को न्याय के कठघरे में लाने की यह पहली कोशिश है। मुस्लिम बहुल गाम्बिया 57 देशों के इस्लामिक सहयोग संगठन की ओर से कदम उठा रहा है। आरोप है कि म्यांमार ने नरसंहार रोकने में1948 के समझौते का उल्लंघन किया। वर्ष 2017 में म्यांमार के रखीन प्रांत में चलाए गए सैन्य अभियान के बाद करीब सात लाख 40 हजार रोहिंग्या लोगों ने पड़ोस के बांग्लादेश में शरण ली।

गाम्बिया के न्याय मंत्री अबूबकर तमबादोउ ने अदालत के जजों से कहा, ‘गाम्बिया और म्यांमार के बीच बहुत विवाद है। गाम्बिया आपसे म्यांमार से बर्बर कृत्यों को रोकने के लिए कहने का अनुरोध करता है। बर्बरता ने हमारी साझा अंतरात्मा को झकझोर दिया है। उसे अपने ही लोगों के खिलाफ नरसंहार रोकना चाहिए।’ रवांडा के 1994 के नरसंहार में अभियोजक रहे तमबादोउ ने कहा कि म्यामां की सेना ने सामूहिक हत्या, सामूहिक बलात्कार, सामूहिक उत्पीड़न किया। बच्चों को उनके घरों और धार्मिक स्थानों पर जिंदा जला दिया गया। रोहिंग्या लोगों को आगे कोई नुकसान नहीं हो इसके लिए गाम्बिया आपात प्रावधान लागू करने की मांग कर रहा है।

बर्मा का परंपरागत परिधान पहने हुए नागरिक नेता ने पहुंचने के बाद मौजूद मीडिया से कोई बात नहीं की। वह कार से बाहर निकलीं और हेग में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के परिसर में चली गईं। सुनवाई के समय रोहिंग्या समर्थक प्रदर्शनकारी अदालत के गेट के सामने पहुंच गए। उन्होंने हाथों में तख्तियां ले रखी थीं जिस पर लिखा था, ‘न्याय में देरी न्याय से इनकार करना है’, ‘बर्मा रोहिंग्या पर सैन्य कार्रवाई रोके।’

Source: International

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