
लेख: शशि रत्न पाराशर
बेमेतरा 20 मई 2025
शिक्षा किसी भी समाज की नींव होती है, और इस नींव को मजबूत करने के लिए शिक्षा व्यवस्था का संतुलित, समावेशी और प्रभावी होना आवश्यक है। वर्तमान में बेमेतरा जिले में शिक्षकों और शालाओं की जो स्थिति है, वह हमें युक्तियुक्तकरण की आवश्यकता की ओर स्पष्ट रूप से इंगित करती है।
शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ एवं प्रभावी बनाने हेतु शालाओं और शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण एक महत्वपूर्ण पहल है। इससे न केवल संसाधनों का समुचित उपयोग होता है, बल्कि विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने का अवसर भी मिलेगा ।
छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश की स्कूली शिक्षा व्यवस्था को अधिक सशक्त, संतुलित और गुणवत्तापूर्ण बनाने के उद्देश्य से शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण किए जाने की पहल की है। यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एवं शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के दिशा-निर्देशों के अनुरूप लिया गया है, ताकि शिक्षक संसाधनों का अधिकतम और समान उपयोग सुनिश्चित किया जा सके। शिक्षा में समानता और समावेशिता की ओर एक ठोस कदम होगा |युक्तियुक्तकरण: प्रशासनिक बदलाव नहीं, बल्कि शैक्षिक सुधार की नींव है ।
बेमेतरा जिले में वर्तमान में 1049 शालाएं युक्तियुक्तकरण के अंतर्गत चिन्हित की गई हैं, जिनमें 276 प्राथमिक शालाएं और 73 पूर्व माध्यमिक शालाएं शामिल हैं। जिले में 28 शिक्षक अतिशेष हैं, वहीं 43 शालाएं एकल शिक्षक के भरोसे चल रही हैं और 2 प्राथमिक शालाएं पूर्णतः शिक्षक विहीन हैं। ऐसी स्थिति में युक्तियुक्तकरण एक आवश्यक कदम बन जाता है।
युक्तियुक्तकरण का सबसे पहला और महत्वपूर्ण लाभ यह है कि यह शैक्षणिक संसाधनों का न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करता है। जिन शालाओं में शिक्षक अधिक हैं, वहां से अतिरिक्त शिक्षकों को उन शालाओं में स्थानांतरित किया जा जाएगा, जहाँ शिक्षक नहीं हैं या बहुत कम संख्या में हैं। इससे छात्र-शिक्षक अनुपात संतुलित होता है, जिससे बच्चों को अधिक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलती है। पर्याप्त भवन उपलब्ध होगा ।
दूसरा लाभ यह है कि एकल शिक्षक शालाओं की समस्या का समाधान होगा । एकल शिक्षक शालाएँ न केवल शैक्षणिक दृष्टि से कमजोर होती हैं, बल्कि शिक्षकों पर कार्यभार अत्यधिक होता है, जिससे शिक्षण की गुणवत्ता प्रभावित होती है। युक्तियुक्तकरण के माध्यम से ऐसे विद्यालयों में अतिरिक्त शिक्षक उपलब्ध कराए जाएँगे, जिससे बच्चों को विषय विशेषज्ञ शिक्षकों से पढ़ने का अवसर मिलेगा।
तीसरा महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि शिक्षकविहीन शालाओं की समस्या का निदान होगा । बेमेतरा जिले में दो प्राथमिक शालाएँ ऐसी हैं जहाँ कोई शिक्षक नहीं है। यह स्थिति बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन है। युक्तियुक्तकरण से इन शालाओं में आवश्यकतानुसार शिक्षक तैनात किए जाएँगे ।*
चौथा लाभ यह है कि इससे सरकारी संसाधनों का बेहतर उपयोग होता है। शिक्षकों की अनावश्यक अधिकता वाली शालाओं में मानव संसाधन का अपव्यय होता है, जबकि किसी अन्य शाला में उसी संसाधन की कमी महसूस होती है। जब शिक्षक आवश्यकता के अनुसार स्थानांतरित किए जाते हैं, तो यह न केवल गुणवत्ता बढ़ाता है बल्कि प्रशासनिक दक्षता भी सुनिश्चित करता है।
अंततः, युक्तियुक्तकरण से शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ती है। जब हर विद्यालय में पर्याप्त शिक्षक होते हैं, तो शिक्षकों की उपस्थिति, शैक्षणिक कार्य की निगरानी और मूल्यांकन की प्रक्रिया सरल होगी । इससे शिक्षकों में भी कार्य के प्रति गंभीरता और उत्तरदायित्व की भावना विकसित होगी ।
निष्कर्षतः, युक्तियुक्तकरण कोई केवल प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह एक आवश्यक शैक्षिक सुधार है जो बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने की दिशा में उठाया गया कदम है। बेमेतरा जिले में इसे सशक्त रूप से लागू कर बच्चों को समान, गुणवत्तापूर्ण और समावेशी शिक्षा प्रदान की जाएगी ।
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