इमरान की मध्यस्थ बन साख कमाने की कोशिश?

तेहरान
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को कश्मीर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ खास भाव नहीं मिला है। खान के पास अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जारी तनाव को कम करने के लिए मध्यस्थता की भूमिका निभा कुछ सांत्वना पुरस्कार पाने जैसा मौका जरूर है। रविवार को तेहरान पहुंचे पाक पीएम ने ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी से मुलाकात की। अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने ईरान और सऊदी अरब के बीच तनाव को कम करने के लिए पाक पीएम से शांतिदूत की भूमिका निभाने का आग्रह किया था।

खाड़ी देशों में पिछले कुछ महीने से जबरदस्त तनाव
खाड़ी देशों में पिछले कुछ महीने से बहुत अधिक तनाव है। सऊदी अरब के कई तेल ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइल अटैक के कारण सऊदी का तेल उत्पादन घटकर 5.7 मिलियन बैरल तक पहुंच गया। हालांकि, इस अटैक की जिम्मेदारी ईरान समर्थित यमन और हौती विद्रोहियों ने ली है। अमेरिका ने इस हमले का जिम्मेदार ईरान को ठहराया है। पिछले सप्ताह शुक्रवार को ईरान के तेल टैंकर पर सऊदी ने 2 मिसाइल अटैक किए।

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रविवार को ईरान दौरे पर पहुंचे इमरान खान ने राष्ट्रपति रूहानी से मुलाकात के बाद कहा, ‘पाकिस्तान ईरान और सऊदी अरब के बीच किसी तरह का तनाव हो, यह नहीं चाहता है। मैं बहुत खुश हूं कि तेहरान और रियाद के बीच वार्ता के लिए मौका मुझे मिला है।’ ईरान दौरा मंगलवार को समाप्त करने के बाद खान सऊदी अरब के लिए रवाना होंगे।

अफगानिस्तान शांति वार्ता में भी पाक निभा रहा भूमिका
अफगानिस्तान शांति वार्ता में भी पाकिस्तान की भूमिका नजर आ रही है और रविवार को अमेरिका और तालिबान को एक टेबल पर फिर से लाने में सफलता मिल गई। वॉल स्ट्रीट जनरल में प्रकाशित खबर के अनुसार मध्यस्थता की प्रक्रिया जल्दी शुरू हो सकती है। अमेरिकी दूत जलमय खलीलज़ाद और तालिबान के बीच पाकिस्तान में अनौपचारिक बातचीत शुरू हो गई। इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान ने तालिबान के 12 प्रतिनिधियों और खलीलजाद के बीच मुलाकात हुई। एक महीने पहले जब ट्रंप ने तालिबान के साथ शांति वार्ता खत्म होने का ऐलान किया था, उसके बाद शुरू हुई यह प्रक्रिया फिर से शांति वार्ता का माहौल बना रहा है।

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इस्लामाबाद में प्रतिनिधियों के बीच वार्ता को वॉल स्ट्रीट जनरल ने कहा, ‘विश्वास बहाली के लिए की गई शुरुआत हिंसा को खत्म करने की दिशा में एक कदम है।’ भारत के लिए खतरे की बात यह है कि इस पूरी प्रक्रिया में तालिबान के साथ शांति वार्ता में पाकिस्तान केंद्रीय भूमिका में आ जाएगा। यह भारत के लिए कोई बहुत उत्साहजनक खबर नहीं है।

Source: International

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