वरिष्ठ संवाददाता, गाजियाबाद
बस दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ट्रांसपोर्ट कमिश्नर धीरज साहू ने प्रदेश के सभी आरटीओ से रजिस्टर्ड ठेके पर चलने वाली और स्लीपर बसों के भौतिक व तकनीकी परीक्षण की रिपोर्ट 30 जनवरी तक मांगी थी, लेकिन अब तक किसी भी जिले के आरटीओ ने यह रिपोर्ट उन्हें नहीं भेजी। 18 फरवरी को उन्होंने फिर से सभी आरटीओ को 24 फरवरी तक रिपोर्ट मांगी। अधिकारी बताते हैं कि हादसे के बाद जब बसों की जांच की गई तो पता चला कि बसों का पंजीयन और फिटनेस सर्टिफिकेट मानक के अनुसार नहीं दिया गया है। जिसकी वजह से हादसे हुए। हादसे वाली बसों में मानक से अधिक स्लीपर सीट पाई गईं। बसों का निर्माण भी तकनीकी रूप से ठीक नहीं था। जिससे विभाग के कार्यप्रणाली पर सवाल उठने के साथ ही साथ जनधन की हानि हो रही है।
गौतमबुद्धनगर में है 4 बसें
आरटीओ राम रतन सोनी ने बताया कि रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस के तहत गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, हापुड़ और बुलंदशहर जिले आते हैं। इनमें केवल गौतमबुद्धनगर में ही 4 स्लीपर बसे रजिस्टर्ड हैं, गाजियाबाद, हापुड़ और बुलंदशहर जिलों में कोई भी स्लीपर बस रजिस्टर्ड नहीं है। जबकि, सभी जिलों में ठेके पर चलने वाली अन्य बसों का रजिस्ट्रेशन है।
नई डेडलाइन भी होगी मिस
गाजियाबाद के आरटीओ ने अभी तक किसी भी जिले में ठेके पर और स्लीपर बसों का भौतिक और तकनीकी परीक्षण नहीं किया है। 23 फरवरी को रविवार की वजह से कार्यालय बंद रहेगा। सोमवार को अगर चारों जिलों में एक साथ भौतिक और तकनीकी निरीक्षण करवाया भी जाता है, तब भी उसे पूरा कर पाना मुश्किल होगा। ऐसे में परिवहन आयुक्त की 24 फरवरी की दूसरी डेडलाइन के भी मिस होने के पूरे आसार हैं।
परिवहन आयुक्त की ओर से मांगी गई सूचना के तहत सोमवार से भौतिक और तकनीकी निरीक्षण करवाया जाएगा। पूरी कोशिश होगी कि मंगलवार तक इसकी रिपोर्ट भेज दी जाए। -राम रतन सोनी, आरटीओ, गाजियाबाद
Source: Uttarpradesh