कोरोना: 'स्कूल-दफ्तर खुला तो फैलेगी महामारी'

पेइचिंग
2003 के सार्स से भी भयावह रूप ले चुका है। इसका प्रसार जितना व्यापक स्तर पर दुनियाभर में हो रहा है वैसा स्वाइन फ्लू का भी नहीं हुआ था। इससे भले ही 2014 के इबोला जैसी मौतें न हुई हों, लेकिन यह बेहद खतरनाक है क्योंकि यह वायरस हवा से भी फैल सकता है। वायरस कितना खतरनाक और गंभीर है, यह त्रासदी कब समाप्त होगी इसको लेकर विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है। कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि चीन में प्रभावित क्षेत्र में स्कूल, दफ्तर व मॉल खुलने से महामारी और फैल सकती है।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, मिशिगन यूनिवर्सिटी के प्रफेसर होवार्ड मर्केल कहते हैं, ‘हर वायरस अलग होता है।’ उन्होंने कहा, ‘पुरानी महामारियों ने जो मुझे सिखाया वह यह कि जो उनके आधार पर भविष्य का अनुमान लगाता है वह या तो मूर्ख है या झूठ बोलता है।’ तीन महीने से भी कम वक्त में इसने हजारों लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है और अब तक अकेले चीन में करीब 2000 लोगों की मौत हो चुकी है। सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि कोरोना के निदान के लिए कोई वेक्सिनेशन भी मौजूद नहीं है।

मर्केल 1892 में जर्मनी में फैले हैजा की घटना को याद करते हैं, जब इस यूरोपीय देश ने शुरुआत में इस खबर को दबाए रखा, जिसके कारण यह व्यापक स्तर पर फैल गया। हैजा से जर्मनी के हमबर्ग में 8 हजार लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद इस बीमारी ने न्यू यॉर्क में भी दस्तक दे दी। मर्केल कहते हैं कि महामारी काफी महंगा भी पड़ता है क्योंकि इससे व्यापार रुक जाता है, इससे अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचता है।

स्कूल, दफ्तर खुले तो और बढ़ेगा वायरस
उधर, चाइनीज सेंटर फॉर डिजिज कंट्रोल ऐंड प्रीवेन्शन के एक अध्ययन में कहा गया है कि भले ही नए मामले में कमी आई हो , लेकिन जैसे ही इकॉनमी रिस्टार्ट होगी, यह फिर फैलेगा। बता दें कि यहां लुनर न्यू ईयर छुट्टी बढ़ा दी गई है और वर्कप्लेस को बंद कर दिया गया है। इस महीने प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है, ‘लोग बड़ी संख्या में फिर स्कूल और दफ्तर लौटेंगे। हमें आने वाले सप्ताह में एकबार फिर कोविड1-9 के संभावित प्रसार को लेकर तैयार रहना होगा।’

आगे और लेगा भयावह रूप
अभी भी शोधकर्ताओं को इस बात का कोई ज्ञान नहीं है कि क्या यह वायरस लक्षण न दिखने वाले लोगों से भी फैल सकता है। लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन ऐंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के स्टीव रिले ने कहा, ‘वायरस ने अपनी जड़े जमा ली हैं। इससे सार्स से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। अगर यह दुनिया के दूसरे हिस्से में फैलता है यह गंभीर वायरस बना रहेगा, यह अलग तरह की चीज बन जाएगा।”

वहीं, मिनसोटा यूनिवर्सिटी के प्रफेसर माइकल ऑस्टरहोम बताते हैं कि अगले कुछ सप्ताह में इस वयारस के प्रभाव की असली जानकारी मिल पाएगी। उन्होंने कहा, ‘हमने महज शुरुआत की है। अगर यह पूरी दुनिया में फैलता है, यह 1918 की महामारी से थोड़ा ही कम भयावह होगा। अगले तीन सप्ताह बेहद महत्वपूर्ण रहेंगे।’ बता दें कि 1918 में फैली महामारी में लाखों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।

Source: International

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