अप्रैल, 2017 में प्रत्यर्पण वॉरंट को लेकर अपनी गिरफ्तारी के बाद से वह जमानत पर है। हाई कोर्ट के जस्टिस स्टीफन इरविन और जस्टिस एलिजाबेथ लेंग से माल्या की बैरिस्टर ने कहा कि दिसंबर, 2018 में मुख्य मजिस्ट्रेट एम्मा अर्बथनॉट द्वारा प्रत्यर्पण के पक्ष में सुनाया गया फैसला त्रुटिपूर्ण है और उन्होंने भारत सरकार द्वारा पेश किए गए कुछ गवाहों के बयानों की स्वीकार्यता पर सवाल भी उठाया।
माल्या की वकील क्लेयर मोंटगोमेरी ने अपनी दलीलें रखते हुए यह स्थापित करने का प्रयास किया कि माल्या ने जब अपनी (अब बंद हो चुकी) किंगफिशर एयरलाइंस के लिए कुछ कर्ज मांगा था तब उसकी धोखाधड़ी करने की कोई मंशा नहीं थी क्योंकि वह रातोंरात भागने वाली हस्ती नहीं था बल्कि एक बिल्कुल समृद्ध व्यक्ति था और वह कोई पोंजी स्कीम जैसा कोई धंधा नहीं कर रहा था बल्कि प्रतिष्ठित एयरलाइंस चला रहा था जो अन्य भारतीय एयरलाइनों के साथ आर्थिक बदकिस्मती का शिकार हो गया।
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