करोड़ों के भूमि मुआवजा घोटाले की जांच सीबीआई को सुपुर्द

प्रयागराज
ने बुलंदशहर घोटाले की जांच को सौंप दी है। इसके साथ ही 11 मई को जांच की प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि सीबीआई घोटाले की एफआईआर दर्ज कर विवेचना करे। यह आदेश जस्टिस सुधीर अग्रवाल तथा जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की खंडपीठ ने किसान कमल सिंह और अन्य की याचिकाओं पर दिया है।

गौरतलब है कि किसानों को विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी ने 1993 में 2 करोड़ 87 लाख,14 हजार 996.53 रुपये का अवॉर्ड घोषित किया, जिसे कोर्ट ने बढ़ाकर 7 करोड़ 13 लाख 37 हजार 504 रुपये कर दिया। अधिकांश किसानों ने मुआवजा भुगतान ले लिया। जमीन का अधिग्रहण राज्य सरकार ने 1991 में यूपी राज्य औद्योगिक विकास निगम के औद्योगिक ग्रोथ सेंटर के लिए किया था लेकिन निगम ने कोई कार्य नहीं किया। किसान खेती करते रहे हैं। वर्ष 2013 में यही जमीन टेहरी हाइड्रो पॉवर डिवेलपमेंट कॉर्पोरेशन इंडिया लिमिटेड को 1320 मेगावाट सुपर थर्मल पॉवर प्रॉजेक्ट बनाने के लिए देने का फैसला लिया गया और दोनों निगमों के अधिकारियों ने जमीन का अतिक्रमण कर कब्जा जमाए लोगों को 387 करोड़ 17 लाख से अधिक का मुआवजा दिला दिया गया।

लगभग चार सौ करोड़ का मुआवजा अधिकारियों की मिलीभगत से दुबारा दिलाए जाने का खुलासा हुआ तो कोर्ट ने छानबीन शुरू की। कोर्ट ने कहा कि जब किसानों को मुआवजे का भुगतान यूपीएसआईडीसी ने कर दिया था तो फिर दोबारा उन्हीं लोगों को मुआवजा दिए जाने की सिफारिश अधिकारियों ने क्यों की? मुआवजा ले चुके किसान मुआवजे के लिए कोर्ट भी आ रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि कमल सिंह को मुआवजे के भुगतान की प्रक्रिया मे अवरोध नहीं है लेकिन यह याचिका के निर्णय पर तय होगा।

अधिग्रहण की वैधता को चुनौती देने वाली अन्य याचिकाओं पर कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने घोटाले की एफआईआर दर्ज कर सीबीआई को विवेचना करने और रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। याचिका पर अगली सुनवाई 11 मई को होगी।

Source: Uttarpradesh

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